Thursday, March 15, 2018

एक तू जो मिला


१५ मार्च २०१८ 
हमारे जीवन की दिशा हमारे ज्ञान से ही निर्धारित होती है. निज ज्ञान के अनुरूप धर्म का पालन करते हुए हम यथासम्भव जगत के व्यवहार निभाते रहते हैं. जब जगत के विषयों से कोई ऊब जाता है तब उसकी नजर स्वयं की ओर मुड़ती है. यहाँ से अध्यात्म का आरम्भ होता है. धर्म के मार्ग पर ईश्वर हमारा सहायक है, उसके माध्यम से हमें जगत को पाना है. अध्यात्म के मार्ग पर ईश्वर हमारा लक्ष्य है, उसके माध्यम से उसी को पाना है. जब तक ईश्वर से हम सुख के लिए प्रार्थना करते हैं, दुःख साथ में आते ही रहेंगे, क्योंकि संसार द्वंद्वों का ही दूसरा नाम है. जब ईश्वर ही हमारा प्राप्य होगा तब जीवन से सारा विषाद चला जायेगा, क्योंकि ईश्वर आनंद स्वरूप है.

2 comments:

  1. अध्यात्म के मार्ग पर ईश्वर हमारा लक्ष्य निर्धारित भी करता है , क्‍या खूबकहा है अनीता जी

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  2. निर्धारित ही नहीं करता वही हमारा लक्ष्य है..स्वागत व आभार अलकनंदा जी !

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