४ नवम्बर २०१७
गुरूपर्व अर्थात सिखों के प्रथम गुरू
नानक का जन्मोत्सव. प्रकाश का यह पर्व हमें अंतर ज्योति जगाने की प्रेरणा देने आया
है. भारत वासी युगों से संतों के प्राकट्य को प्रकाश के साथ जोड़ते आये हैं, इसी
कारण भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी का जन्मदिन भी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. सभी
संतों ने मानव को भीतर के आत्मा रूपी प्रकाश को जगाने की युक्ति दी है. मानव देह
को यदि एक घर के समान समझें तो आत्मा इसकी मालिक है, मन, बुद्धि आदि सेवक हैं.
जैसे मालिक के न होने पर सेवक मनमानी करते हैं, और घर की हालत बिगड़ जाती है, वैसे
ही आत्मा का प्रकाश यदि नहीं जगा है तो मन सीमित ज्ञान व पुराने संस्कारों के
अनुसार ही घर को चलाता है, जिसका परिणाम सुख-दुःख के रूप में मानव को भोगना पड़ता
है. आत्मा यदि सजग होगी तो सहज ही शांति और आनंद का अनुभव करेगी.
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