Saturday, September 16, 2017

आदिशिल्पी को करें नमन

१७ सितम्बर २०१७ 
आज विश्वकर्मा पूजा है. पुराणों में विश्वकर्मा देव का उल्लेख कई स्थानों पर अत्यंत श्रद्धा के साथ किया गया है. इन्हें आदिशिल्पी कहा जाता है. रावण की स्वर्णलंका और कृष्ण की द्वारिका का निर्माण इन्होंने ही किया था. इनके वशंजों ने ही विश्व की विभिन्न हस्तकलाओं जैसे सुनार, लोहार, बढ़ई, मूर्तिकार आदि की कलाओं को जन्म दिया. वास्तु शास्त्र के ज्ञाता इन देव की युगों-युगों से अर्चना की जाती रही है. भारत के पूर्वी प्रदेशों में, बंगाल तथा उत्तर-पूर्व भारत में विशेष तौर से हर वर्ष १७ सितम्बर को सभी अभियांत्रिकी संस्थानों में विश्वकर्मा देव की पूजा होती है. सभी औजारों तथा मशीनों की भी साफ-सफाई करके पूजा की जाती है. यहाँ तक कि साइकिलों, कारों, ट्रकों के मालिक अपने वाहनों को अच्छी तरह से स्वच्छ करके उनकी पूजा करते हैं. बदलते हुए समय के साथ उत्सवों का रूप बदल जाता है, वे अपने शुद्ध रूप में नहीं रह जाते, फिर भी उत्सव रोजमर्रा के जीवन में एक नया उत्साह भर देते हैं.

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