Thursday, May 11, 2017

जग जाये जब शक्ति भीतर

१२ मई २०१७ 
शास्त्रों में कहा गया है, मानव जन्म अत्यंत दुर्लभ है. यहाँ जिस मानव जन्म की बात कही गयी है वह केवल मनुष्य का शरीर धारण करने मात्र से नहीं मिल जाता.यदि कोई अपने समय और सामर्थ्य का उपयोग केवल देह को बनाये रखने के लिए ही करता है अथवा केवल इन्द्रियों के सुखों की प्राप्ति के लिए ही करता है तो उसका मानव योनि में जन्म लेना सार्थक नहीं कहा जा सकता. मानव के भीतर देवत्व को पाने की जो चाह छिपी है उसे जागृत करके उस मार्ग पर चलना ही सही अर्थों में उसे मानव बनाता है. एक बीज के रूप में सभी के भीतर जो आत्मशक्ति छिपी है, साधना और भक्ति के द्वारा उसे प्रकट कर सकना ही मानव जन्म को दुर्लभ बनाता है. मनुष्य होकर जो भय, क्रोध अथवा शोक पर विजय प्राप्त नहीं कर सका उसने अभी देवत्व की ओर यात्रा आरम्भ नहीं की अर्थात वह मानव होने के वास्तविक अर्थ से वंचित ही रह गया. 

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