Friday, May 12, 2017

गुरू चरणों में नमन सदा

१३ मई २०१७ 
सत्य के खोजी को यदि कोई सत्य का चितेरा मिल जाये तो उसका मार्ग सरल हो जाता है. सरल ही नहीं उसके मार्ग पर फूलों के वृक्ष उग आते हैं. उसकी प्यास बुझाने के लिए कलकल करते झरने भी बहने लगते हैं और सदा एक हाथ उसके सर पर महसूस होता है जो उसे मार्ग पर ही टिकाये रखता है. किसी की दृष्टि उसे मिली है, वह नजर उसे अपने पथपर सजग रखती है. जिसने उस पथ के सारे मोड़ देखे हैं, जो उस पथ के हर कंकर-पत्थर से परिचित है, ऐसा कोई सद्गुरू यदि जीवन में आता है तो जीवन एक उत्सव बन ही जाता है. सत्य की राह तब एक मदमाती ख़ुशबू लिए अपनी ओर बुलाती है. मन निर्भार होकर, निर्भ्रांत होकर सहज ही अपने भीतर होते परिवर्तनों को देखता है. सुख-दुःख आते हैं, परिस्थितियाँ आती हैं, कभी रोग भी सताते हैं पर सबका साक्षी बना मन एक उसी के चरणों में समर्पित रहता है. जिसे एक बार सत्य की झलक मिल जाती है वह इस पल-पल बदलती दुनिया में कमल की भांति असंग रहना सीख जाता है.

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