Wednesday, November 30, 2016

मन ही माया


हर सुबह एक नए अंदाज में प्रकटती है, सूर्य भी नए रूप में दिखाई देता है. आकाश वही है पर बादलों के बदलते रूप उसे नित नया कलेवर पहना देते हैं. इसी तरह आत्मा सदा एक सी रहने पर भी मन पल-पल बदलता है, तीन गुणों के मेल से कभी हँसता कभी उदास होता है. शास्त्रों के अनुसार आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल तथा जल से पृथ्वी का निर्माण हुआ है. उसी तरह आत्मा से प्राण, प्राण से ऊर्जा, ऊर्जा से मन तथा मन से देह का निर्माण होता है. साधना के द्वारा जितना-जितना सतोगुण बढ़ता जाता है, मन आत्मा के निकट पहुँच जाता है.

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