Friday, June 6, 2014

बहा करे शुभ धारा मन की

अप्रैल २००६ 
ध्यान करने से विश्रांति मिलती है, और विश्रांति से सद्कार्यों के लिए सामर्थ्य उत्पन्न होता है. किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए आवश्यक है भीतर उदारता हो, मन अपने अवगुण तथा अन्यों के गुणों का पारखी हो. जीवन तब अपने आप ही सार्थक प्रतीत होगा. जब मन कमजोर होता है उसकी जड़ में नकारात्मक वृत्तियाँ होती हैं, प्रवाह रुक जाता है, उन्हें सद्विचारों के पानी से बहाकर पुनः प्रवाह को जारी रखना होगा. जीवन में सुख है या दुःख यह मानव के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, एक ही स्थिति को कोई दो तरह से अनुभव कर सकता है.. सद्कार्य का परिणाम सद ही होता है. जीवन को चाहे तो फूलों सा सजा ले, चाहे तो धूल सा पैरों के तले रौंद दे, अच्छे काम के लिए किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता और अच्छे कार्य की प्रेरणा सद्विचारों से ही मिलती है.



2 comments:

  1. सद्कार्य का परिणाम सद ही होता है. जीवन को चाहे तो फूलों सा सजा ले, चाहे तो धूल सा पैरों के तले रौंद दे, अच्छे काम के लिए किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता और अच्छे कार्य की प्रेरणा सद्विचारों से ही मिलती है.

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  2. राहुल जी, स्वागत व आभार !

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