Monday, May 26, 2014

तेरी शरण में आये हैं हम

मार्च 2006
प्रार्थना में बहुत शक्ति है, पग-पग पर प्रार्थना हमें सहारा देती है. उसका स्मरण भीतर चलता रहे तो यह अपने आप में ध्यान का ही एक रूप है. हम उसे ही अपने अंतर की कथा-व्यथा सुना सकते हैं, वह दीखता नहीं पर उसकी हजार आँखें हैं, जैसे दरवाजे पर चिक लगी हो तो बाहर के लोग भीतर नहीं देख सकते पर भीतर से बाहर देखा जा सकता है, वैसे ही वह हमारे भीतर से सब कुछ देख रहा है पर हम ही उसे नहीं देख पाते. प्रार्थना में हमारा अहं गल जाता है. शरण में आने का सुख सारे सुखों से बड़ा है, उसमें कोई मिलावट नहीं, कोई दुःख भी नहीं. शुद्ध ज्ञान में स्थित होकर ही हम शरण में आते है, शरण का अर्थ है सत्य के प्रति समर्पित होना, जो सही है उसे ही चाहना, जो कल्याणकारी है उसकी ही कामना करना. तब कोई बोझ नहीं रहता, कोई डर भी नहीं सताता, भक्त को पूर्ण विश्वास होता है जिसकी शरण में वह आया है, वह सर्व-समर्थ है, उसे तब अपने सुख-दुःख की परवाह नहीं रह जाती, वह तो उसकी रजा में ही अपनी रजा मानता है.

3 comments:

  1. शरण का अर्थ है सत्य के प्रति समर्पित होना, जो सही है उसे ही चाहना, जो कल्याणकारी है उसकी ही कामना करना.....

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  2. हे गोविन्द राख शरण अब तो जीवन हारे ।

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  3. राहुल जी व शकुंतला जी, स्वागत व आभार !

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