Thursday, October 20, 2011

ईश्वर अंश जीव अविनाशी


मई २००२ 

ईश्वर के अंश होने के कारण हम परम आनंद को पाने के अधिकारी हैं, चेतना के उस दिव्य स्तर तक पहुंचने के अधिकारी हैं जहाँ विशुद्ध प्रेम, सुख, ज्ञान, शक्ति, पवित्रता और शांति है. सम्पूर्ण प्रकृति भी तब हमारे लिये सुखदायी हो जाती है.  इस स्थिति को केवल अनुभव किया जा सकता है यह स्थूल नहीं है अति सूक्ष्म है और व्यापक भी. शरद काल के चन्द्रमा की चाँदनी कि तरह. तब यह लगता है कि ईश्वर के सिवा इस जग में जानने योग्य कुछ भी स्थायी और शाश्वत है क्या... और उसे जानने की ललक ही एक अनिवर्चनीय संतोष को जन्म देती है.  

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