Thursday, August 11, 2011

परम और लघु चेतना


ध्यान में ईश्वर की परम चेतना के समान जब हमारी लघु चेतना हो जाती है तो हमारा मन स्थिर हो जाता है. भौतिक वस्तुओं में जब तक मन लगता है अस्थिर रहता है क्यों कि दोनों ही बदलने वाले हैं, स्थिर तो केवल एक मात्र परम चेतना ही है, उसे खोजने कहीं दूर नहीं जाना है वह हमारे भीतर ही है. प्रेम ही उस तक पहुंचने का मार्ग है उसे भी हमारा उतना ही ख्याल है जितना हमें उसका. वह हमारा कुशल-क्षेम रखने को तैयार है सिर्फ हमें ही पूर्ण समर्पित होना है. 

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