Thursday, July 28, 2011

ध्यान की शक्ति


ध्यान के समय जब मन किसी वस्तु का चिंतन करने लगे तो यह भाव करना होगा कि उस वस्तु को देखने वाला मानस चक्षु और सोचने वाला मानस भी उसी आत्मा का ही अंश है. अपनी श्वास पर ध्यान ले जाने से भी ध्यान पुनः टिक जाता है. हमारी श्वास तथा विचारों में बड़ा सम्बन्ध हैं, साँस को नियंत्रित करके हम अपनी भावनाओं को भी नियंत्रित कर सकते हैं. शरीर में होने वाले कई रोग जो नकारात्मक भावनाओं के परिणाम हैं, दूर किये जा सकते हैं. श्वास के द्वारा पहले हमें भावनाओं को सकारात्मक बनाना है और फिर ध्यान के द्वारा सुप्त शक्तियों को जगाना है प्रेम की शक्ति और ज्ञान की शक्ति.

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