Friday, June 10, 2011

साक्षीभाव


मई २००० 

सुख-दुःख आदि अवस्थायें जीवन में आती रहती हैं लेकिन इन्हें साक्षी भाव से देखने वाला आत्मा अलिप्त ही रहता है, ध्यान व योग करते समय इस साक्षीभाव का अभ्यास करने से वह सामान्य अवस्था में भी घटने लगता है. ईश्वर पर विश्वास करो तो सब कुछ कितना सरल हो जाता है. क्योंकि वही एकमात्र सत्य है और हर मानव का अंतिम उद्देश्य है सत्य की प्राप्ति, साथ ही यह जग हमारे स्नेह का पात्र बने, निस्वार्थ, निष्काम व शुद्ध स्नेह, ऐसा स्नेह जो मात्र स्नेह के लिये है.

1 comment:

  1. साक्षी भाव जागृत होना - एक उपलब्धि है जीवन की - बहुत खूब अनीता जी.

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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